शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

कुछ दोहे

ब्लॉग्गिंग की दुनिया में यह मेरा पहला क़दम है और मैं इसकी शुरुआत कुछ दोहों के साथ कर रहा हूँ. आप सब का प्रेम और आशीष मिलेगा इसी उम्मीद के साथ, सविनय... 


दो रोटी दो प्याज ही, बचे हमारे बीच 
इतना सारा अन्ना उगा, बनिया ले गया खींच 


बोली प्रेम की सीख तू, ज्यों नैनों में नीर 
नैना तो नदिया बने, बहता रहे शरीर 

तेरा मेरा प्रेम है, ज्यों तितली के पंख
छू कर देखो  तो ज़रा रंग तुम्हारे संग

तू  तो मेरे साथ चल हरियाली के पेड़ 
बाकी सब तो खा गई, देख खेत की मेड़

विष उतना ही पीजिये, जितना रोग मिटाय
थोड़ी-ज्यादा मात्रा, मन कोढ़ी कर जाय 

तेरा मेरा प्रेम है, ज्यों तोता और बेर 
खट्टा-मीठा चाखते, हो जायेंगे ढेर 

जीभ चिड़ी की काट कर, कौवे  करें बखान 
बांटेंगे  अब ज्ञान हम, सब हिन्दू-मुसलमान 

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